संकट में है भारतीय गेहूं की फसले : 2025 उच्च तापमान का असामान्य रूप से बढ़ाना : कैसे बचे ?

भारत के मौसम विभाग आईएमडी ने इस साल 2025 मार्च में एक भविष्यवाणी की है, जिसमें उन्होंने बताया है कि देश भर में औसत से अधिक तापमान 2025 में दर्ज किया जाएगा |

जिसके कारण भारत की एक महत्वपूर्ण फसल जिसका नाम (भारतीय गेहूं ) गेहूं है पर गंभीर रूप से प्रभाव पड़ने की पूरी-पूरी संभावना है, जैसे कि हमने पिछले कई वर्षों में देखा है कि गर्मी के कारण तेज गर्म हवाओं के कारण भारतीय गेहूं की फैसले के पैदावार में गिरावट आई है, इस प्रकार गर्मी के कारण इस बार भी गेहूं की पैदावार पर स्थिति चिंताजनक बनी हुई है |

गेहूं की खेती में भारत का महत्व : भारतीय गेहूं

जैसे कि आपको पता है भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है, जिसमें भारत के राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक गेहूं की खेती की जाती है|

गेहूं भारतीय किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए एक मुख्य खाद्य पदार्थ है |

हमारी भारतीय सरकार भी खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत करोड़ों गरीब भारतीयों लोगों को सस्ती दर पर गेहूं का वितरण किया जाता है |

ऐसे में यदि गेहूं के उत्पादन पर कोई भी प्रकार से प्रभाव पड़ता है तो खाद्य आपूर्ति और महंगाई पर गंभीर और भयानक असर पड़ सकता है|

आखिर क्यों है गेहूं के लिए उच्च तापमान चिंता का विषय

आईएमडी की रिपोर्ट के अनुसार मार्च – अप्रैल में अगर औसत तापमान 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक अधिक रहता है तो यह परिवर्तनशील जलवायु किसानों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है |

उच्च तापमान के क्या प्रभाव हो सकते हैं

हीट स्ट्रेस : ज्यादा गर्मी से गेहूं की फसल जल्द पक सकती है जिसके कारण अनाज के दाने हल्के और कमजोर हो सकते हैं |

उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की जा सकती है :

तापमान वृद्धि के कारण गेहूं की उपज में करीब 15 से 20% तक कमी हो सकती है |

पानी की अधिक आवश्यकता : गर्मी के कारण अधिक सिंचाई की जरूरत किसानों को होगी जिससे पानी की कमी/समस्या भी बढ़ सकती है |

कीट और कई प्रकार के रोगों का भी हो सकता है खतरा : तापमान के बढ़ने के कारण गेहूं की फसल में कीट और बीमारियों का प्रकोप बढ़ने का भी खतरा हो सकता है |

पिछले वर्षों में भारत के गेहूं उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ा था :

भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण गेहूं की फसलों में पिछले 3 सालों की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई है, 2022 की बात करे तो यहां रिकॉर्ड तोड़ गर्मी में उत्पादन से करीब 3% कम गेहूं का उत्पादन दर्ज किया गया था |

2023 के समय बारिश और गर्मी से गेहूं की गुणवत्ता खराब हो गई थी |

2024 में भी तापमान के ज्यादा उतार-चढ़ाव के कारण कटाई में देरी और गेहूं के उत्पादन में कमी आई थी |

यदि 2025 में भी तापमान के कारण इसी प्रकार स्थिति बनी तो भारत में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अधिक आयात करने की भी आवश्यकता पड़ सकती है |

किसानों इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं :

अपने खेत की फसलों को जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिए किसानों को आधुनिक तौर पर नई तकनीक और पारंपरिक उपायों को अपनाएं जाने की सलाह दी जाती है |

समय पर सिंचाई :

मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी है समय पर सिंचाई नियमित और संतुलित तरीके से करना |

हीट रेजिस्टेंट बीज :

 नई तकनीक के तौर पर ऐसी किस्म का आप उपयोग कर सकते हैं जो उच्च तापमान सहन करने की क्षमता रखता हो जैसे HD 3226, HD 3086, DBW 187 आदि |

मल्चिंग तकनीक : खेतों में घास, सूखी पत्तियों और अन्य जैविक सामग्रियां बिछाने से मिट्टी की नमी बनी रहती है आप इसका उपयोग भी कर सकते हैं |

पौध संरक्षण : कीटो और बीमारियों से बचने के लिए जैविक कीटनाशकों का भी आप उपयोग कर सकते हैं |

एग्रोफोरेस्ट्री : फसल के साथ पेड़ पौधे लगाने से भी जलवायु संतुलन बनाए रखा जा सकता है |

भारतीय सरकार के किसानों को जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए सहायता और योजनाएं

भारतीय सरकार किसानों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई प्रकार से मदद करने के लिए कई योजनाओं को लागू किया है |

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मौसम आधारित कृषि सलाह, स्मार्ट सिंचाई प्रणाली, जलवायु अनुकूल कृषि

बाजार पर फसलों के उत्पादन के प्रभाव से क्या फर्क पड़ता है

यदि तापमान वृद्धि के कारण गेहूं की उपज में गिरावट आती है तो इसका बाजार पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ेगा

गेहूं और आटे की कीमतों में हो सकती है बढ़ोतरी |

राशन योजना पर बढ़ सकता है दबाव |

निर्यात हो सकता है प्रभावित जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ सकता है असर |

निष्कर्ष

भारत में गेहूं की फसलों पर पिछले 3 वर्षों से अनिश्चित तापमान के कारण एक गंभीर चुनौती उत्पन्न हो रही है, यदि समय पर आवश्यक कदम उठाकर खाद्य सुरक्षा और किसान की आय को बचाया नहीं गया तो हमें इसका आगे घातक परिणाम भुगतना पड़ सकता है |

सरकार, वैज्ञानिकों और किसानों को मिलकर इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द निकलना होगा , ताकि देश को कृषि और खाद्य आपूर्ति और महंगाई से सुरक्षित रखा जा सके |

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