
ब्लड शुगर कंट्रोल कैसे करें: लक्षण, नियंत्रण उपाय और स्वस्थ आहार की पूरी जानकारी
ब्लड शुगर क्या है?
ब्लड शुगर, जिसे ग्लूकोज़ भी कहा जाता है, शरीर के ऊर्जा स्तर को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है। यह शुगर हमारे द्वारा खाए गए भोजन से शरीर में प्रवेश करता है और रक्तप्रवाह के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों में वितरित होता है। जब शरीर में शुगर का स्तर सही मात्रा में होता है, तो शरीर अच्छे से काम करता है। लेकिन अगर यह शुगर स्तर बढ़ जाता है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
ब्लड शुगर ज्यादा होने के कारण :
ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण हैं:
- अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट या चीनी का सेवन: अगर आप अधिक मीठा या अधिक कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करते हैं, तो आपके शरीर में शुगर का स्तर बढ़ सकता है।
- शारीरिक गतिविधि की कमी: यदि आप शारीरिक गतिविधि कम करते हैं, तो शरीर में शुगर का स्तर बढ़ सकता है। नियमित व्यायाम शरीर को शुगर को सही तरीके से उपयोग करने में मदद करता है।
- तनाव: अत्यधिक मानसिक या शारीरिक तनाव भी शुगर के स्तर को बढ़ा सकता है क्योंकि इससे शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं।
- मधुमेह (Diabetes): यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता, जिसके कारण शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
- हार्मोनल असंतुलन: कुछ हार्मोन जैसे कोर्टिसोल या एड्रेनालाईन का असंतुलन भी शुगर को बढ़ा सकता है।
शुगर ज्यादा होने के लक्षण :
ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने पर शरीर में कई लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:
- अधिक प्यास लगना: शुगर के बढ़ने पर शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे बार-बार प्यास लगती है।
- अधिक पेशाब आना: बढ़ी हुई शुगर के कारण शरीर अतिरिक्त शुगर को बाहर निकालने के लिए अधिक पेशाब करता है।
- अधिक भूख लगना: शुगर बढ़ने से शरीर में ऊर्जा का सही उपयोग नहीं हो पाता, जिससे बार-बार भूख लगती है।
- थकान और कमजोरी: शुगर का असंतुलित स्तर शरीर को थकान और कमजोरी का अनुभव करा सकता है।
- धुंधला दिखना: बढ़ी हुई शुगर आंखों की कोशिकाओं को प्रभावित कर सकती है, जिससे दृष्टि में धुंधलापन महसूस हो सकता है।
- घावों का देर से ठीक होना: शुगर का बढ़ना शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है, जिससे घाव या चोटें जल्दी ठीक नहीं होतीं।
- हाथ और पैरों में झुनझुनी या दर्द: लंबे समय तक बढ़ी हुई शुगर नसों को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे झुनझुनी या दर्द हो सकता है।
ब्लड शुगर को कंट्रोल कैसे करें?
ब्लड शुगर को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए कुछ प्राकृतिक और जीवनशैली से संबंधित उपाय निम्नलिखित हैं:
- स्वस्थ आहार लें:
- फल और सब्जियां: नियमित रूप से ताजे फल और सब्जियां खाएं, जो फाइबर से भरपूर होती हैं।
- कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला आहार: ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) वह माप है जो यह दर्शाता है कि कोई खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को कितना तेजी से बढ़ाता है। कम GI वाले खाद्य पदार्थ जैसे ओटमील, शकरकंदी, चुकंदर आदि शुगर को नियंत्रण में रखते हैं।
- प्रोटीन और हेल्दी फैट्स: दाल, मूंगफली, अखरोट, और एवोकाडो जैसी चीजों को आहार में शामिल करें।
- वजन नियंत्रित रखें: अधिक वजन शरीर में इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध को बढ़ा सकता है। इसलिये वजन को संतुलित रखना जरूरी है।
- नियमित व्यायाम करें: व्यायाम ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है। हर दिन कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करने की कोशिश करें, जैसे तेज चलना, दौड़ना, योग आदि।
- तनाव को नियंत्रित करें: योग, प्राणायाम, ध्यान और अन्य तनाव-नियंत्रण तकनीकों का अभ्यास करें ताकि तनाव से बचा जा सके, जो शुगर के स्तर को बढ़ा सकता है।
- इंसुलिन और दवाइयों का सेवन: अगर आपके डॉक्टर ने आपको इंसुलिन या कोई अन्य दवाइयां दी हैं, तो उनका नियमित रूप से सेवन करें।
- नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करें: डॉक्टर से परामर्श लेकर नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच कराएं, ताकि आप अपने शुगर के स्तर को ट्रैक कर सकें।
शुगर को नियंत्रित करने के लिए कौन सी दवाइयां सहायक हो सकती हैं?
- मेटफॉर्मिन: यह दवा आमतौर पर टाइप 2 डायबिटीज के लिए दी जाती है, और यह शरीर को ग्लूकोज़ का सही उपयोग करने में मदद करती है।
- सुल्फोनीलयूरिया: यह दवा शरीर को इंसुलिन उत्पादन बढ़ाने में मदद करती है।
- इन्सुलिन: टाइप 1 डायबिटीज में, जब शरीर बिल्कुल भी इंसुलिन नहीं बना पाता, तब इंसुलिन का सेवन जरूरी होता है।
निष्कर्ष
ब्लड शुगर का असंतुलन न केवल शरीर के लिए हानिकारक है, बल्कि यह भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है। अगर आप नियमित रूप से सही आहार लें, शारीरिक गतिविधि करें, और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयों का सेवन करें, तो आप शुगर को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और सही समय पर उपाय करें।
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