🔰 प्रस्तावना: पोषण अभियान 2025

पोषण अभियान 2025 : भारत में कुपोषण एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य समस्या रही है, जो देश के भविष्य — हमारे बच्चों, महिलाओं और युवाओं को सीधे प्रभावित करती है। इसे दूर करने के लिए भारत सरकार ने पोषण अभियान (Poshan Abhiyaan) की शुरुआत की, जो अब अपने सातवें वर्ष में प्रवेश कर चुका है।

पोषण अभियान 2025

2025 में 8 अप्रैल से 22 अप्रैल तक सातवां पोषण पखवाड़ा मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य है – पोषण को जन आंदोलन बनाना। यह लेख इसी पहल की विस्तृत जानकारी, महत्व, आंकड़े, चुनौतियां और आपके योगदान के तरीकों को शामिल करता है।


🧠 पोषण अभियान 2025 क्या है?

पोषण अभियान (Poshan Abhiyaan) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसकी शुरुआत 8 मार्च 2018 को राजस्थान के झुंझुनू जिले से की गई थी। इसका उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के पोषण स्तर में सुधार करना है। यह विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, किशोरियों और 0-6 वर्ष तक के बच्चों को लक्षित करता है।

🎯 मुख्य उद्देश्य:

  • बौनापन (Stunting) को कम करना
  • कुपोषण (Malnutrition) की दर घटाना
  • कम वजन (Low Birth Weight) वाले बच्चों की संख्या कम करना
  • एनीमिया (Anemia) को मात देना

📊 2025 की तस्वीर: भारत में पोषण की स्थिति : पोषण अभियान 2025

  • 35% बच्चे अभी भी कुपोषित पाए जाते हैं।
  • 50% महिलाएं और किशोरियाँ एनीमिया से पीड़ित हैं।
  • हर साल लगभग 8 लाख बच्चों की मृत्यु कुपोषण के कारण हो जाती है।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि पोषण केवल एक स्वास्थ्य विषय नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है।


🗓️ पोषण पखवाड़ा 2025 ( पोषण अभियान 2025 ): क्या है ख़ास ?

इस साल का थीम है – प्रौद्योगिकी और परंपरा का संगम: जन-जन के लिए पोषण”

इस पोषण अभियान 2025 में होने वाली गतिविधियाँ:

  1. ग्राम पंचायत स्तर पर पोषण रैली
  2. किचन गार्डन और पोषण वाटिका का निर्माण
  3. आंगनवाड़ी में हेल्थ और न्यूट्रिशन कैम्प्स
  4. मातृ सम्मेलन और पोषण परिचर्चा
  5. स्कूलों में पोस्टर, ड्राइंग, भाषण प्रतियोगिताएं
  6. डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर पोषण क्विज़ और वेबिनार

🧬 टेक्नोलॉजी की भूमिका : पोषण अभियान 2025

पोषण अभियान 2025 ने टेक्नोलॉजी को एक अहम हथियार के रूप में अपनाया है:

  • POSHAN Tracker App द्वारा बच्चों की निगरानी
  • ICDS-CAS पोर्टल से आंगनवाड़ी डेटा मॉनिटरिंग
  • AI और Machine Learning से आहार पैटर्न विश्लेषण

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👩‍👧‍👦 किसे होता है सबसे ज़्यादा लाभ ?

लक्षित समूहलाभ
0-6 वर्ष के बच्चेसम्पूर्ण पोषण, टीकाकरण, ग्रोथ मॉनिटरिंग
गर्भवती महिलाएंआयरन-फोलिक सप्लीमेंट्स, ANC जांच
स्तनपान कराने वाली माताएंस्वास्थ्य जांच, पोषण शिक्षा
किशोरियाँएनीमिया जांच, आयरन सप्लीमेंट, पोषण सत्र

🌾 पोषण और परंपरा: क्या कहती है आयुर्वेदिक सोच?

भारत की पारंपरिक प्रणाली – आयुर्वेद और सात्त्विक भोजन पोषण में अमूल्य योगदान देते हैं:

  • गुड़, चना, दूध, मौसमी फल जैसी चीज़ें घर की रसोई में उपलब्ध हैं जो सुपरफूड्स हैं।
  • मिलेट्स (जौ, रागी, बाजरा) – जिन्हें अब सुपर ग्रेन्स कहा जा रहा है, पोषण पखवाड़े में प्रमोट किए जा रहे हैं।

🛠️ चुनौतियाँ क्या हैं?

  1. जागरूकता की कमी (विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में)
  2. सही डेटा की अनुपलब्धता
  3. सामाजिक मान्यताएं और गलत धारणाएं
  4. आंगनवाड़ी में संसाधनों की कमी
  5. शहरी क्षेत्रों में जंक फूड का चलन

हम क्या कर सकते हैं?

पोषण अभियान सिर्फ सरकार की नहीं, हम सबकी जिम्मेदारी है।

आप भी इस पोषण अभियान 2025 का हिस्सा बन सकते हैं:

  • अपने घर और मोहल्ले में Nutrition Awareness Drive चलाएं
  • आंगनवाड़ी या स्कूल में स्वयंसेवी बनें
  • एनीमिया की जांच और सही भोजन का प्रचार करें
  • अपने बच्चों को जंक फूड से दूर रख कर पौष्टिक भोजन दें

🌍 वैश्विक प्रयासों से भारत को क्या सीखना चाहिए?

  • ब्राज़ील ने Community Kitchen मॉडल अपनाकर ग्रामीण पोषण में बड़ा बदलाव किया
  • बांग्लादेश ने गर्भवती महिलाओं को आर्थिक सहायता देकर पौष्टिक आहार सुनिश्चित किया
  • अफ्रीकी देशों में मोबाइल एप्स से बच्चों की निगरानी हो रही है

📣 सोशल मीडिया और पोषण अभियान 2025

पोषण अभियान 2025 में सोशल मीडिया एक बड़ी भूमिका निभा रहा है:

  • #PoshanPakhwada2025 और #NutritionForNation जैसे ट्रेंड
  • YouTube Shorts और Instagram Reels के जरिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा
  • Influencers और Doctors मिलकर Nutrition Myths को तोड़ रहे हैं

पोषण अभियान 2025 केवल एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि जन-जन के सहयोग से चलने वाला पोषण का जन आंदोलन है। अगर हम सब मिलकर सही भोजन, सही समय पर, सही मात्रा में करें – तो भारत को कुपोषण मुक्त बनाने का सपना ज़रूर साकार होगा।


📢 “पोषण युक्त भारत – सशक्त भारत” :: पोषण अभियान 2025


🧩 Bonus Section: उपयोगी तथ्य :: पोषण अभियान 2025

  • 🌱 हर आंगनवाड़ी केंद्र में एक पोषण वाटिका बनाना अनिवार्य किया गया है
  • 🧒 0-6 वर्ष के बच्चों की हर महीने Growth Monitoring की जाती है
  • 🧪 आयरन टैबलेट अब स्कूलों में हफ्ते में एक दिन दी जा रही है
  • 📱 POSHAN Tracker App का 80% से ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्रों में उपयोग

📏 भारत में बच्चों के लिए उम्र के अनुसार मानक ऊंचाई और वजन (ICMR के अनुसार)

👦 लड़कों के लिए (Boys)

उम्र (साल)ऊंचाई (से.मी.)वजन (कि.ग्रा.)
175.79.6
287.812.2
396.114.3
4103.316.3
5109.418.4
6115.520.6
7121.923.0
8128.225.7
9133.328.6
10138.431.4

👧 लड़कियों के लिए (Girls)

उम्र (साल)ऊंचाई (से.मी.)वजन (कि.ग्रा.)
174.08.9
286.411.5
395.113.9
4102.716.1
5109.418.2
6115.620.4
7121.822.8
8128.025.8
9133.328.9
10138.632.0

📝 नोट: यह औसत मानक है। थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे रहना सामान्य है, लेकिन ज्यादा अंतर होने पर डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।

आप अपने बच्चे की ग्रोथ को इस चार्ट से मिलाकर देख सकते हैं — क्या वो स्वस्थ विकास कर रहा है?

🥗 उम्र के अनुसार डाइट गाइड: सभी के लिए सही पोषण

हर उम्र में शरीर की पोषण संबंधी ज़रूरतें बदलती हैं। इसलिए “One Size Fits All” डाइट नहीं चलती। नीचे हमने विभिन्न उम्र वर्गों के अनुसार उचित डाइट और जरूरी पोषक तत्वों की जानकारी दी है:


👶 0 से 6 माह के बच्चे:

  • सिर्फ और सिर्फ मां का दूध (Exclusive Breastfeeding)
  • मां के दूध में सभी जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं

📌 नोट: इस उम्र में कोई अन्य आहार या पानी भी न दें।


👦 6 माह से 2 वर्ष के बच्चे:

  • मां का दूध जारी रखें + अर्ध-ठोस भोजन देना शुरू करें
  • जैसे: खिचड़ी, मसला हुआ केला, सब्जी प्यूरी, दाल, रागी खीर
  • आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन A-D जरूरी

🧒 2 से 10 वर्ष:

  • Balanced Diet जिसमें अनाज, सब्जी, फल, दूध, दालें शामिल हों
  • दिन में 5 बार अलग-अलग रंग की सब्जियां और फल देना फायदेमंद
  • जंक फूड और शुगर ड्रिंक्स से बचाना जरूरी

💡 टिप: एक कटोरी हरी सब्ज़ी, एक गिलास दूध, एक मौसमी फल रोजाना


👧 किशोरावस्था (11 से 18 वर्ष):

  • शरीर में तेज़ ग्रोथ होती है, इसलिए अधिक प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन चाहिए
  • लड़कियों के लिए आयरन सप्लीमेंट जरूरी (एनीमिया से बचाव हेतु)
  • अंडा, दूध, दालें, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, सूखे मेवे लाभकारी

🧃 टिप: हफ्ते में एक दिन गुड़ और चना का सेवन आयरन के लिए अच्छा है


👩‍🦱 19 से 59 वर्ष (वयस्क पुरुष और महिलाएं):

  • संतुलित आहार जिसमें 50% फल-सब्जियां, 25% प्रोटीन और 25% कार्बोहाइड्रेट हों
  • पुरुषों को अधिक प्रोटीन और महिलाओं को कैल्शियम-आयरन पर ध्यान देना चाहिए
  • योग और नियमित व्यायाम के साथ मिलेट्स का सेवन फायदेमंद

🍚 सुझाव: सफेद चावल की जगह रागी या बाजरे का उपयोग करें


👵 60 वर्ष से ऊपर (वरिष्ठ नागरिक):

  • पाचन तंत्र धीमा हो जाता है – इसलिए हल्का और सुपाच्य भोजन लें
  • फाइबर, कैल्शियम, विटामिन D, B12 और ओमेगा-3 आवश्यक
  • कम नमक, कम चीनी, कम तेल – लेकिन भरपूर पोषण

🫗 टिप: हर सुबह गर्म पानी में हल्दी और नींबू मिलाकर पीना लाभकारी है


📅 सप्ताह भर का डाइट शेड्यूल (उदाहरण):

दिननाश्तादोपहर का भोजनशाम का नाश्तारात का खाना
सोमवारदलिया + फलरोटी + सब्ज़ी + दालभुना हुआ चनाखिचड़ी + दही
मंगलवारउपमा + मूंगफलीचावल + पनीर करीफल चाटरोटी + हरी सब्ज़ी
बुधवारपराठा + दहीदाल-चावल + सलादसूपमिलेट पुलाव

हर उम्र के लिए सही पोषण जरूरी है। यदि हम समय के अनुसार भोजन करें और मिलेट्स, मौसमी फल-सब्ज़ियाँ और आयुर्वेद को अपनाएं – तो रोगमुक्त जीवन और मानसिक-शारीरिक विकास दोनों संभव है।


🔴 भारत में कुपोषण और बच्चों की मृत्यु: एक गंभीर तस्वीर (2025 से पहले की स्थिति)

1. चौंकाने वाला आंकड़ा: भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी थी कि
👉 2022 में भारत में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की लगभग 69% मौतें कुपोषण (Malnutrition) के कारण हुईं।
(स्रोत: Economic Times Report)


2. यह 69% क्यों भयावह है?

  • हर साल लाखों बच्चे 5 वर्ष की उम्र पूरी करने से पहले ही मौत के मुंह में चले जाते हैं।
  • इनमें से अधिकांश मौतें बचाई जा सकती थीं अगर समय पर सही पोषण और देखभाल मिलती।
  • WHO और UNICEF की रिपोर्ट्स भी बार-बार इस ओर इशारा करती हैं कि कुपोषण, संक्रमण से लड़ने की ताकत कम कर देता है, जिससे मामूली बीमारियाँ भी जानलेवा हो जाती हैं।

3. मुख्य कारण:

  • जन्म के पहले 1000 दिन में पौष्टिक आहार की कमी
  • माँ की शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान न देना
  • गरीब परिवारों तक स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुँच
  • स्वच्छ पानी और साफ-सफाई की कमी

4. समाधान की दिशा में पहल: यही सब देखते हुए ‘पोषण अभियान 2025’ जैसी योजनाएँ लाई गईं ताकि:

  • बच्चों को सही समय पर संतुलित आहार मिले
  • माँओं को पोषण और स्वास्थ्य की जानकारी दी जा सके
  • आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल और प्रभावशाली बनाया जा सके

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लेखक: Dsunil | स्रोत: www.dnewson.com


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