💥 NDA की तमिलनाडु में धमाकेदार वापसी: शाह ने किया एलान – AIADMK के साथ मिलकर पलटेगे खेल!
अमित शाह ने किया NDA गठबंधन का ऐलान, अन्नामलाई भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद
NDA :चेन्नई में शुक्रवार को भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने AIADMK के साथ भाजपा के गठबंधन की औपचारिक घोषणा की। यह गठबंधन 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए हुआ है, जिसमें AIADMK प्रमुख ई. पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया गया है। शाह ने स्पष्ट किया कि सीटों का बंटवारा आपसी चर्चा से बाद में तय किया जाएगा।

पुराने मतभेद खत्म, नए रिश्तों की शुरुआत
अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह NDA गठबंधन दोनों दलों के लिए फायदेमंद है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि AIADMK की ओर से कोई विशेष मांग नहीं की गई है और भाजपा भी AIADMK के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ महीने पहले AIADMK ने बीजेपी से अलग होकर NDA छोड़ दिया था।
सितंबर 2023 में भाजपा के तत्कालीन तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई की विवादास्पद टिप्पणियों के कारण NDA गठबंधन टूट गया था। अन्नामलाई ने द्रविड़ नेता सी.एन. अन्नादुरई पर विवादित बयान दिया था, जिससे AIADMK नाराज़ हो गई थी।
अन्नामलाई पीछे हटे, नयनार नागेन्द्रन होंगे नए प्रदेश अध्यक्ष?
भाजपा में अंदरूनी बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, तिरुनेलवेली से विधायक और पूर्व AIADMK नेता नयनार नागेन्द्रन को भाजपा का अगला प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन शाह के X (पूर्व ट्विटर) पोस्ट से संकेत मिलते हैं कि मौजूदा अध्यक्ष अन्नामलाई ने खुद उनके नाम का प्रस्ताव रखा है।
नयनार का AIADMK पृष्ठभूमि से आना इस गठबंधन को और मजबूत बना सकता है। यह कदम भाजपा की रणनीतिक सोच को दर्शाता है, जिसमें गठबंधन की मजबूती के लिए पुराने संबंधों को पुनर्जीवित किया जा रहा है।
2021 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा नतीजे
पिछले विधानसभा चुनाव (2021) में DMK ने कुल 234 सीटों में से 159 पर जीत हासिल की थी। AIADMK को 66 और भाजपा को सिर्फ 2 सीटें मिली थीं। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और AIADMK ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और दोनों को करारी हार का सामना करना पड़ा। DMK के नेतृत्व में INDIA गठबंधन ने तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर जीत दर्ज की।
इस चुनावी हार के बाद दोनों दलों को आत्ममंथन का अवसर मिला, और शायद यही कारण है कि अब एक बार फिर से NDA की छतरी के नीचे इकट्ठे हुए हैं।
क्या है NDA गठबंधन की राजनीतिक रणनीति?
गृहमंत्री शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आगामी चुनाव भ्रष्टाचार, महिलाओं और दलितों पर अत्याचार जैसे मुद्दों पर लड़ा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि DMK सरकार पर लोग सवाल उठा रहे हैं और यही मुद्दे चुनावी रण में NDA की प्रमुख बातें होंगी।
शाह ने संकेत दिए कि अगर जरूरत पड़ी तो एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम (Common Minimum Programme – CMP) भी बनाया जाएगा ताकि मतभेदों को दूर कर एकजुटता से सरकार चलाई जा सके।
NDA गठबंधन में फिर से विश्वास कैसे बहाल हुआ?
2023 में गठबंधन टूटने के प्रमुख कारणों में एक था अन्नामलाई की ‘आक्रामक राजनीति’ और अन्नादुरई पर की गई उनकी टिप्पणी। AIADMK ने मांग की थी कि अन्नामलाई माफी मांगें या उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जाए। लेकिन भाजपा नेतृत्व ने उस समय यह मांग नहीं मानी, जिससे गठबंधन टूट गया।
अब हालात बदल गए हैं। अन्नामलाई ने प्रदेश अध्यक्ष पद से पीछे हटने का संकेत दिया है और नयनार नागेन्द्रन के नाम को खुद प्रस्तावित किया है। यह एक सुलह का संकेत है, जिससे विश्वास बहाली का मार्ग प्रशस्त हुआ।
DMK के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है यह NDA गठबंधन
DMK फिलहाल राज्य में मजबूत स्थिति में है, लेकिन 2026 के चुनाव में अगर AIADMK और भाजपा एकजुट होकर चुनाव लड़ते हैं, तो यह गठबंधन DMK के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। खासकर जब भाजपा अपनी संगठनात्मक शक्ति और केंद्र सरकार की योजनाओं को प्रचारित करेगी और AIADMK अपने परंपरागत वोटबैंक को जोड़ने की कोशिश करेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह गठबंधन भले ही चुनावी गणित के आधार पर बना हो, लेकिन इसका असर बड़ा हो सकता है। नयनार नागेन्द्रन जैसे नेताओं की वापसी और शाह का सक्रिय हस्तक्षेप इसे और गंभीरता प्रदान करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा तमिलनाडु में अपनी उपस्थिति मजबूत करना चाहती है, और AIADMK के साथ गठबंधन उसकी रणनीति का अहम हिस्सा है।
क्या मतभेद फिर से उभर सकते हैं?
AIADMK और भाजपा के वैचारिक दृष्टिकोण में अंतर है। AIADMK द्रविड़ आंदोलन की विचारधारा से निकली पार्टी है, जबकि भाजपा हिंदुत्व की राजनीति करती है। ऐसे में दोनों के बीच मतभेद फिर से उभर सकते हैं। लेकिन अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि हर मुद्दे पर चर्चा होगी और जरूरत पड़ी तो CMP भी बनाया जाएगा।
निष्कर्ष: तमिलनाडु की राजनीति में नया अध्याय
AIADMK और भाजपा के फिर से साथ आने से तमिलनाडु की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। जहां एक ओर यह गठबंधन DMK के लिए एक चुनौती बनेगा, वहीं दूसरी ओर दोनों दलों के लिए यह आत्मविश्लेषण और नए समीकरण बनाने का मौका है।
2026 के चुनाव में क्या यह गठबंधन सफल होगा या फिर पुराने मतभेद फिर से उभरेंगे? यह तो समय बताएगा, लेकिन फिलहाल इतना तो तय है कि तमिलनाडु की सियासत एक बार फिर नए रंग में रंग चुकी है।
📌 नोट: यदि आप इस विषय पर अपनी राय देना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट करें और आप हमारे सोशल मीडिया पेज पर जाकर हमें टेलीग्राम, व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब से भी जुड़ सकते हैं |
धन्यवाद |
| join our telegram channel : | dnewson.com |
| join our whatsapp channel : | dnewson.com |
खबरें और भी हैं…








